Tuesday, March 25, 2025

कल किसने देखा है

 


कल किसने देखा है, मत सोचो बेकार,

आज में जी लो तुम, यही है उपहार।


सपने बुनो, पर मत रुको,

हर पल को जी लो, मत थको।

जो बीता है, वो सपना था,

जो आने वाला, है अनजाना सा।


धूप छाँव का खेल है जीवन,

कभी हँसी, तो कभी है अंसुवन।

पर हर लम्हा कुछ सिखाएगा,

जो आज को जी ले, वह जीता कहलाएगा।


कल की फ़िक्र में मत उलझो,

आज के फूलों को महकने दो।

जो पास है, उसे अपनाओ,

छोटी या बड़ी, खुशियों को दिल से सजाओ।


क्योंकि सत्य तो यही है,

कि "कल किसने देखा है?"



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