Wednesday, December 17, 2014

इतना ना मुझको तुम प्यार कर ना...

नादाँ, नटखट, भोला और प्यारा
अपने माँ-बाप का राज दुलारा
पढ़ लीखकर कुछ बन्ना मै चाहता
मानव जातीको श्रेष्ठ कहलाता

आँखोंके सामने बिल्कुल अँधेरेसी छागई
जीवन गोलियों की मोहताज बनकर रहगई
युहीं चला जाऊंगा, ऐसा सोचा न था कभी
सिर्फ दस सालका ही तोह हुआ था अभी

क्यूँ होती ये हत्या और हिंसा
क्या होता आतंक या प्रतिहिंसा
मुझे बस अपना बचपन था पता
जिसे हाँ तुमने दिया जड़से मिटा

मासूम हूँ मै, बेकसूर और अबोध हूँ
मेरी मौतका तुम्हे दोषी भी ना समझूँ
मेरी कमीसे माँबापका जीवन बंजर ना बने
आखरी साँसों दर्द बस इस बातका है मुझे

हे भगवन,
बचपन इतना असुरक्षित है अगर
मुझको तु जिंदगी दुबारा दे, मगर
माँबाप बस ये जरूर कहना:
इतना ना मुझको तुम प्यार कर ना
की मेरी अर्थी में रो-रोके पड़े तुम्हे मरना
इतना ना मुझको तुम प्यार कर ना... इतना ना मुझको तुम प्यार कर ना


#PeshwarAttack
RIP the innocent souls, Deepest Condolences to the bereaved families... 

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