कोई
दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं
तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये
तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
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तेरे
इस प्यार में मुझको अब बस डूब जाना है
मोहब्बत
किसको केह्तें है, ये दुनियां को बताना है
के
जीवन की हर एक मोड पे तेरा साथ निभाना है
यही
तेरी ही चाहत है और मेरी भी तमन्ना है
मै
तुझको भूल करभी भुल जाऊं, ये हो नही सकता
मैं
तेरे बिन भी जिन्दा हूँ, ये मुमकिन हो नही
सकता
जो
मुझसे तु कभी रूठे, ऐसा हो नही सकता
मेरी
चाहत अधूरी हो, ये कोई कह नही सकता
इन्द्रेणी
की एक मुस्कान करदे, मौसम को मस्ताना
खिले
बाग की खुसबू से भवरा होता है मस्ताना
जो
खाबों को हकीकत ने मिटा डाला, अगर
क्यूंकि
तु
कितनी खूबसूरत है, जो बन बैठा मै मस्ताना